Saturday, July 19, 2008

तुझसे नाराज़ होके कहा जायेंगे,

तुझसे नाराज़ होके कहा जायेंगे,
न जियेंगे और न मर पाएंगे,
देके दर्द तुझे हुआ जीना मुश्किल,
सोचता हूँ मेरे बाद क्या जी पाओगे,
खुशी देनी चाही तुझे हज़ार,
मगर दर्द ही दे सका हर बार,
बंधा हुआ हूँ तुझसे एक रिश्ते में,
तोड़ कर उसे कैसे चला जाऊँ,
दुनिया के रिश्ते याद नही मुझको,
तुझसे दिल का रिश्ता कैसे भुलाऊं,

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