Saturday, July 19, 2008

दूर रह कर भी,

दूर रह कर भी,
कितने करीब हो तुम,
आज ये जान पता हूँ,
जब तेरी यादों को,
सीने से लगाता हूँ,
करीब रह के भी,
न जान पाया तुझे,
आज ये सोच कर,
सिर्फ़ पछताता हूँ,

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