Saturday, July 19, 2008

गर आँसू तेरी आँख का होता,

गर आँसू तेरी आँख का होता,
गिरता गाल को चुमते हुए,
फिर गिर के तेरे होठों पर,
फना हो जाता वहीं हॅसते हुए,
पर
जो तुम होती मेरी आँख का आसु,
भले गुजरती उम्र गम सह-सह कर,
तुझे खो ना दूं कही इस डर से,
मै ना रोता ज़िदगी भर|

जब गम तेरा देख के दिल मुझसे नही सम्भलता है

जब गम तेरा देख के दिल मुझसे नही सम्भलता है
तो तेरी खुशियों की खातिर ये यूं ही दिन रात जलता है
ऐसे तो सुनता ही नही खुदा दुआ हमारी अक्सर
पर शायद कभी-कभी हमारे आँसुवों से वो भी पिघलता है

खुदा ये कैसा फैसला तेरा

खुदा ये कैसा फैसला तेरा,
क्या मेरी मोहब्बत थी झुठी,
उनको उनका प्यार मिला,
मुझसे किस्मत क्यों रूठी,
वो नही मिले क्यों मुझको?
इस पर जवाब खुदा का आया,
तुने सच्चे दिल से उसकी खुशीयाँ माँगी,
तभी तो उसे उसका प्यार मिल पाया,

खुदा ये कैसा फैसला तेरा,

खुदा ये कैसा फैसला तेरा,
क्या मेरी मोहब्बत थी झुठी,
उनको उनका प्यार मिला,
मुझसे किस्मत क्यों रूठी,
वो नही मिले क्यों मुझको?
इस पर जवाब खुदा का आया,
तुने सच्चे दिल से उसकी खुशीयाँ माँगी,
तभी तो उसे उसका प्यार मिल पाया,

दूर रह कर भी,

दूर रह कर भी,
कितने करीब हो तुम,
आज ये जान पता हूँ,
जब तेरी यादों को,
सीने से लगाता हूँ,
करीब रह के भी,
न जान पाया तुझे,
आज ये सोच कर,
सिर्फ़ पछताता हूँ,

अंधेरे मे छुप गया चाँद मेरा,

अंधेरे मे छुप गया चाँद मेरा,
हुआ उदास न जाने क्यों दिल मेरा,
जानता हूँ न तू मेरी और न मैं तेरा,
दीदार-ऐ-यार को तरसे क्यों दिल मेरा,
रौशनी की एक किरण उस पर आई,
झलक देख क्यों न भरा दिल मेरा,

एक पल सुखी एक पल दुखी,

एक पल सुखी एक पल दुखी,
दो घड़ी कुछ इस तरह बीत चली,
ज़िंदगी जैसे मुझसे रूठ चली,

एक पल अपना एक पल पराया,
अपनों ने अपनों से धोखा खाया,
ज़िंदगी से अपनों से दूर चला आया,

एक पल खोया एक पल पाया,
प्यार देके कभी प्यार न पाया,
ज़िंदगी ने न जाने कितना रुलाया,

एक पल तेरा एक पल मेरा,
जो बीत गया वो क्या तेरा क्या मेरा,
ज़िंदगी बीती न हो सका कोई मेरा,

एक पल जागा एक पल सोया,
न जाने कितने सपने सजोया,
ज़िंदगी भर रहा सपनो मे खोया,

एक पल भुला एक पल याद आया,
तुझ संग बीता हर पल याद आया,
ज़िंदगी भूला मगर तुझे न भूल पाया,

सूरज की किरण मेरे चाँद से टकराई,

सूरज की किरण मेरे चाँद से टकराई,
तन बदन मे मेरे जैसे आग लग आई,

उसने ली कुछ इस तरह से अंगडाई,
फूलों से उड़ एक तितली मेरे करीब आई,

आँखें खुली नजरो से नज़रे टकराई,
थोड़ा वो शरमाई फिर मुस्कुराई,

दिल मे मेरे सैकडो छुरिया चलायी,
तड़पते रहे कमबख्त मौत भी न आई,

हँसते है ज़माने मैं और भी कई,

हँसते है ज़माने मैं और भी कई,
दिल से हँसते पहली बार देखा है,
आज मैंने उनको हँसते हुए देखा है,
उनकी हँसी दिल को छू जाती है,
चुपके चुपके कुछ कह जाती है,
कसम है उदास न होना तुम कभी,
ये खूबसूरत हँसी न खोना कभी,
तेरी हँसी से है गुलशन खिले,
आता है सावन है फूल खिले,

जुदाई की घड़ी आई,

जुदाई की घड़ी आई,
नजरो से नज़रे टकराई,
आँखो से वो ओझल हुई,
वो मेरी नजरो से ओझल हुई,
रेगिस्तान मे वर्षा आई,
मेरी आँखे इस कदर भर आई,
दिल के फूल मुरझाये,
जब उसकी आँखें भर आई,

खो गया चाँद मेरा कही,

खो गया चाँद मेरा कही,
ढूँढ कर लाये उसे मेरे पास कोई,

वो बहुत शर्मीला है मगर,
मेरे यार जितना शर्मीला नही,

वो बहुत खुबसूरत है मगर,
मेरे यार के आगे कुछ भी नही,

वो देता सुकून दिल को मगर,
मेरे यार बिन मुझे सुकून नही,

वो करता रोशन जग को मगर,
मेरे यार बिन दिल रोशन नही,

जिंदगी दोस्तों के नाम कर दी,

जिंदगी दोस्तों के नाम कर दी,
उनकी खातिर जान कुर्बान कर दी,
मरने का हमे कोई गम नही,
खुशी है दोस्तों को कोई गम नही,
दोस्तों की खुशी में खुश रहे हम,
दर्द अपना न किसी को दे सके हम,
दोस्तों की हँसी में हंस दिए हम,
गम अपने भूल बस हंस दिए हम,
दोस्तों के बुलावे पे दौडे चल दिए हम,
छोड़ अपनों को यूँही बस चल दिए हम,

उनका कातिल-ऐ-हुस्न, छीने मेरा चैन-ओ-सुकून,

उनका कातिल-ऐ-हुस्न, छीने मेरा चैन-ओ-सुकून,
देख के नज़रे झुकाना, कयामत ढाए हम पे ज़माना,
ये तेरी मस्त हँसी, जैसे कोई कली खिली,
ये कातिल निगाहें, छीन के दिल ले जाए,
देख के नज़रे चुराना, जैसे दिल मेरा जलाना,
देख के हमको छुप जाना, जैसे चांदनी में अमावास आना,

सुनी सुनी गलिया सुना सुना आकाश,

सुनी सुनी गलिया सुना सुना आकाश,
चाँद तारे सबको भेजा यार के पास,
चाँद तारो की छाव में प्यारी नींद आए,
हो हर सपना पुरा यार का मेरे,
दुआ दिल से मेरे बस येही आए,

दिल ने कहा उसे सब कह दे,

दिल ने कहा उसे सब कह दे,
गम-ऐ-दिल यार को कह दे,
राज़-ऐ-दिल न यार से छुपा,
दावा न सही यार दुआ तो देगा,
गम सारे लेके मुस्कुराहटे देगा,

कल फिर न सो सका तेरी याद में,

कल फिर न सो सका तेरी याद में,
आज फिर न जाग सका तेरी याद से,
इन अश्को ने याद किया हर पल,
एक पल भी न रुके तेरी याद में,
जागना चाहा एक पल तेरी याद से ,
सो गया अगले ही पल तेरी याद में,
छोड़ दिया है साथ अब पलकों ने,
बंद होंगी अब ये सिर्फ़ मेरी मौत पे,
सोया नही हूँ बरसो से एक पल भी मैं,
जागूँगा बरसो अब तो तेरी याद में,

तुझसे नाराज़ होके कहा जायेंगे,

तुझसे नाराज़ होके कहा जायेंगे,
न जियेंगे और न मर पाएंगे,
देके दर्द तुझे हुआ जीना मुश्किल,
सोचता हूँ मेरे बाद क्या जी पाओगे,
खुशी देनी चाही तुझे हज़ार,
मगर दर्द ही दे सका हर बार,
बंधा हुआ हूँ तुझसे एक रिश्ते में,
तोड़ कर उसे कैसे चला जाऊँ,
दुनिया के रिश्ते याद नही मुझको,
तुझसे दिल का रिश्ता कैसे भुलाऊं,

दोस्त कहूँ तुझे या कहूँ मसीहा,

दोस्त कहूँ तुझे या कहूँ मसीहा,
सिखा तुझसे मैंने जीने का सलीका,

यूँ तो बनाये हैं दोस्त हमने कई,
पर न मिल सका तुझ सा दूजा कोई,

सिखा तुझसे मैंने हमेशा आगे बढना,
भूल बीती को सिर्फ़ कल के लिए चलना,

सिखा तुझसे मैंने मुश्किलों से लड़ना,
बन दीवार अड्डिग होके हमेशा जीना,

सिखा तुझसे मैंने कभी किसी से न डरना,
लड़ ज़माने से हर मुकाम हासिल करना,

सिखा तुझसे मैंने सदा खुश रहना,
गम दिल में छुपाके दुसरो को खुशिया देना,

सिखा तुझसे मैंने सदा मुस्कुराते रहना,
दुसरो को मुस्कुराहटे हज़ार देना,

Friday, July 18, 2008

इन्सान किसी से दुनियां मे, एक बार मोहब्बत करता है

इन्सान किसी से दुनियां मे, एक बार मोहब्बत करता है

इस दर्द को ले कर जीता है, इस दर्द को ले कर मरता है

प्यार किया तो डरना क्या, जब प्यार किया तो डरना क्या

प्यार किया कोई चोरी नहीं की, छूप छूप आहे भरना क्या

आज कहेंगे दिल का फसाना, जान भी ले ले चाहे जमाना

मौत वही जो दुनियां देखे, घूंट घूंट कर यू मरना क्या

उन की तमन्ना दिल में रहेगी, शम्मा इसी महफ़िल में रहेगी

इश्क में जीना, इश्क में मरना, और हमे अब करना क्या

छूप ना सकेगा इश्क हमारा, चारो तरफ हैं उनका नजारा

परदा नहीं जब कोई खुदा से, बंदो से परदा करना क्या

फ़िल्म -मुगले आज़म
गायक -लता मंगेशकर

Thursday, July 17, 2008

हमारी साँसों में आज तक वो हिना की ख़ुशबू महक रही है

हमारी साँसों में आज तक वो हिना की ख़ुशबू महक रही है....सुनिए नूरजहाँ और महदी हसन की आवाज़ में ये गज़ल़
पिछला हफ्ता अंतरजाल यानि 'नेट' से दूर रहा। जाने के पहले सोचा था कि नूरजहाँ की गाई ये ग़ज़ल आपको सुनवाता चलूँगा पर पटना में दीपावली की गहमागहमी में नेट कैफे की ओर रुख करने का दिल ना हुआ। वैसे तो नूरजहाँ ने तमाम बेहतरीन ग़ज़लों को अपनी गायिकी से संवारा है पर उनकी गाई ग़ज़लों में तीन मेरी बेहद पसंदीदा रही हैं। उनमें से एक फ़ैज़ की लिखी मशहूर नज़्म "....मुझसे पहली सी मोहब्बत मेरी महबूब ना माँग....." इस चिट्ठे पर आप पहले सुन ही चुके हैं। अगर ना सुनी हो तो यहाँ देखें।

तो आज ज़िक्र उन तीन ग़ज़लों में इस दूसरी ग़ज़ल का। ये ग़ज़ल मैंने पहली बार १९९५-९६ में एक कैसेट में सुनी थी और तभी से ये मेरे मन में रच बस गई थी। लफ़्जों की रुमानियत का कमाल कहें या नूरजहाँ की गहरी आवाज़ का सुरूर कि इस ग़ज़ल को सुनते ही मन पुलकित हो गया था। इस ग़जल की बंदिश 'राग काफी' पर आधारित है जो अर्धरात्रि में गाया जाने वाला राग है। वैसे भी महबूब के खयालों में खोए हुए गहरी अँधेरी रात में बिस्तर पर लेटे-लेटे जब आप इस ग़ज़ल को सुनेंगे तो यक़ीन मानिए आपके होठों पर शरारत भरी एक मुस्कुराहट तैर जाएगी।



हमारी साँसों में आज तक वो हिना की ख़ुशबू महक रही है
लबों पे नग्मे मचल रहे हैं, नज़र से मस्ती झलक रही है

वो मेरे नजदीक आते आते हया से इक दिन सिमट गए थे
मेरे ख़यालों में आज तक वो बदन की डाली लचक रही है

सदा जो दिल से निकल रही है वो शेर-ओ-नग्मों में ढल रही है
कि दिल के आंगन में जैसे कोई ग़ज़ल की झांझर झनक रही है

तड़प मेरे बेकरार दिल की, कभी तो उन पे असर करेगी
कभी तो वो भी जलेंगे इसमें जो आग दिल में दहक रही है

इस ग़जल को किसने लिखा ये मुझे पता नहीं पर हाल ही मुझे पता चला कि इस ग़ज़ल का एक हिस्सा और है जिसे जनाब महदी हसन ने अपनी आवाज़ दी है। वैसे तो दोनों ही हिस्से सुनने में अच्छे लगते हैं पर ये जरूर है कि नूरजहाँ की गायिकी का अंदाज कुछ ज्यादा असरदार लगता है।

शायद इस की एक वज़ह ये भी हैं कि जहाँ इस ग़ज़ल के पहले हिस्से में महकते प्यार की ताज़गी है तो वहीं दूसरे हिस्से में आशिक के बुझे हुए दिल का यथार्थ के सामने आत्मसमर्पण।

तो महदी हसन साहब को भी सुनते चलें,इसी ग़ज़ल के एक दूसरे रूप में जहाँ एक मायूसी है..एक पीड़ा है और कई अनसुलझे सवाल हैं...


हमारी साँसों में आज तक वो हिना की ख़ुशबू महक रही है
लबों पे नग्मे मचल रहे हैं, नज़र से मस्ती झलक रही है

कभी जो थे प्यार की ज़मानत वो हाथ हैं गैरो की अमानत
जो कसमें खाते थे चाहतों की, उन्हीं की नीयत बहक रही है

किसी से कोई गिला नहीं है नसीब ही में वफ़ा नहीं है
जहाँ कहीं था हिना को खिलना, हिना वहीं पे महक रही है

वो जिन की ख़ातिर ग़ज़ल कही थी, वो जिन की खातिर लिखे थे नग्मे
उन्हीं के आगे सवाल बनकर ग़ज़ल की झांझर झनक रही है

Tuesday, July 15, 2008

***सपने अपने अपने***

सपने अपने अपने


सपना भी अब एक विज्ञान बन गया है। यही वजह है कि कहते है कि सपने बेकार नहीं होते बल्कि उनके दिखने के पीछे भी राज होता है। जानकारों के मुताबिक कई सपने हमें हमारे अच्छे-बुरे भविष्य की ओर ईशारा भी करते हैं। मसलन आपने सपने में ग्रहण पड़ता हुआ देखा है, तो यह शुभ लक्षण नहीं है। भविष्य में आपको अनेक प्रकार के झंझटों का सामना करना पड़ सकता है। समाज में आपका अपमान, निंदा तिरस्कार आदि भी हो सकता है। आपको कोई रोग भी हो सकता है। आपने स्वप्न में चूड़ियां देखी हैं तो यह शुभ लक्षण है। इसका अर्थ ताउम्र साथ निभाना है। कुंआरी कन्या अगर यह स्वप्न देखती है,तो उसके पति का प्रतीक है और यदि यह स्वप्न कोई विवाहित स्त्री देखती है। तो उसके पति की उम्र लंबी होती है। अगर पति किसी रोग से पीड़ित है,तो वह जल्दी ही रोग मुक्त होने वाला है।आपने स्वप्न में जाल देखा है,तो यह अशुभ स्वप्न है। जाल बंधन का प्रतीक माना गया है। आने वाले समय में आपको किसी मुसीबत या बंधन का सामना करना पड़ सकता है। आपने स्वप्न में फलों से भरा हुआ ठेला देखा है, तो इसे बहुत ही शुभ समझिए। यदि खाली ठेला दिखाई दे, तो यह धनाभाव का संकेत है और यदि ठेला मैले से भरा हुआ है, तो इस बहुत ही अशुभ समझिए। आप स्वप्न में पकवान देख रहे हैं, तो यह सामान्य फलदायी स्वप्न है। आप स्वयं पकवान खा रहे हैं, तो यह रोगावृद्धि का संकेत है और यदि आप किसी दूसरे को पकवान खिला रहे हैं, तो यह अत्यंत ही शुभ है। आपने स्वप्न में रास्ता या पगडंडी देखी है, तो इसका परिणाम शुभ होगा। आप इसे अनेक उलझी हुई समस्याओं के हल का मार्ग मान सकते हैं। यह आपकी समस्याओं के हल का भी प्रतीक है।आप स्वप्न में खुद को परिश्रम करता हुआ देखते हैं, तो यह सफलता का प्रतीक है। भविष्य में आप ज्यादा मेहनत करके अपने कार्यों में सफलता पा सकते हैं। आपने स्वप्न में घास देखी है,तो यह शुभता का प्रतीक है। हरी घास पशु धन के आगमन की सूचना देती है, जबकि सूखी घास घर में निर्धनता की सूचक होती है।आपने स्वप्न में अपने शरीर के किसी अंग में दर्द होता हुआ देखा है, तो आने वाले दिनों में आपके शरीर के किसी भाग में चोट लग सकती है या दर्द हो सकता है। ऐसे कई सपने हैं जिसका कोई न कोई अर्थ माना जाता है। लेकिन सपने का फल कब मिलता है इस पर अब तक विवाद है। लेकिन विषय बेशक दिलचस्प है।